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प्रस्तुत पुस्तक झारखंड का इतिहास प्राचीन काल से लेकर 2014 ई .... Read More
प्रस्तुत पुस्तक झारखंड का इतिहास प्राचीन काल से लेकर 2014 ई तक झारखंड एवं समग्र इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि होगी झारखंड अकूत प्राकृतिक संसाधनों एवं नैसर्गिक छटाओं तथा पर्यटन स्थलों से परिपूर्ण होने के बावजूद भी सदा से ही उपेक्षित रहा है प्राकृतिक का वरदान है यह गंडवा गैंडवाना लैंड पृथ्वी का प्राचीनतम भाग होने के बावजूद भी अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाया झारखंड विषय पर पुस्तक भी काम लिखी गई है तथा शोध कार्य भी अपेक्षाकृत कम ही हुआ है प्रस्तुत पुस्तक इतिहास के आम पाठकों सामान्य जानकारी रखने वालों शोध विद्यार्थियों एवं झारखंड राज्य के विश्वविद्यालय के स्नातक एवं स्नाकोत्तर तक के पाठ्यक्रम के लिए काफी लाभदायक साबित होगी साथ ही विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए भी पुस्तक को उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है पुस्तक में झारखंड की भाषण पर्व त्योहार नृत्य संगीत वाद्य यंत्रों जन्म एवं मृत्यु संस्कार आदि पर भी विस्तृत चर्चा की गई है भाषा को भी सरल रुचिकर एवं बोधगम बनाने का प्रयास किया गया है
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | भूमिका | 8 |
2 | झारखंड की उत्पत्ति एवं प्रारंभिक इतिहास | 27 |
3 | हिंदू शासन काल में झारखंड | 14 |
4 | दिल्ली सल्तनत के शासनकाल में झारखंड 1200 ई से 1526 ई तक | 6 |
5 | मुगल एवं उत्तर मुगल काल में झारखंड 1526 ई से 1765 ई तक | 15 |
6 | ब्रिटिश शासन काल में झारखंड | 9 |
7 | भारत का स्वतंत्रता आंदोलन एवं झारखंड | 7 |
8 | झारखंड के प्रमुख आंदोलन | 18 |
9 | झारखंड की भूमि व्यवस्था | 27 |
10 | झारखंड की प्रमुख जातियां | 23 |
11 | झारखंड के सदन | 20 |
12 | झारखंड में विस्थापन की समस्या | 27 |
13 | झारखंड में उग्रवाद की समस्या | 23 |
14 | झारखंड के प्रमुख आंदोलनकारी | 18 |
15 | झारखंड की धार्मिक विशिष्टताये | 18 |
16 | उपसंहार | 3 |
17 | संदर्भ ग्रंथ सूची | 5 |
18 | चित्र | 5 |