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प्रस्थानतंत्री ही वेदांत के आधार स्तंभ है अतः मुख्य उपनि .... Read More
प्रस्थानतंत्री ही वेदांत के आधार स्तंभ है अतः मुख्य उपनिषदे गीता और ब्रह्मसूत्र ही वेदांत दर्शन के साहित्य है इसके साथ ही साथ अद्वैतवादी आचार्य शंकर का शारीरिक भाषय भेदाभेदवादी अचार्य भास्कर का भास्करभाष्य विशेषतावादी आचार्य रामानुज का श्रीभाष्य द्वैतादित्यवादी आचार्य निंबार्क का वेदांतपारिजात सौरभ नामक भाष्य गुद्वाद्वैतवादी आचार्य वल्लभ का अणूभाष्य अविभागाद्वैतवादी आचार्य विज्ञानभिक्षु का विज्ञानमृतभाष्य एवं अचिंतनभेदवादी आचार्य बलदेव स्वामी का गोविंदभाष्य तथा उनके समथकों द्वारा रचित टिकाएं उपटिकाए वृत्तीया आदि ने मिलकर वेदांतसाहित्य को विपुल तो बनाया ही लेकिन वेदांत को भिन्न-भिन्न संप्रदायों में विभक्त कर दिया विकासक्रम में वेदांतदर्शन के कई संप्रदायों का प्रादुर्भाव हुआ आचार्य शंकर के अद्वैतवाद से संतुष्ट न होकर तथा जीव एवं ब्रह्म में क्या संबंध है आदि अनेक प्रश्नों के उत्तर में वेदांत के नाना संप्रदायों का प्रदुभाव हुआ
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | आचार्य रामानुज का विशिष्ठाद्वैतवाद | 48 |
2 | आचार्य मध्य का द्वैत वेदांत दर्शन | 96 |
3 | भेदाभेद या द्वैताद्वैत वेदांत दर्शन अचार्य भास्कर यादव प्रकाश एवं निम्बाक | 59 |
4 | चैतन्य तथा उनके शिष्यों का अचित्तान भेदाभेदबाद | 33 |
5 | आचार्य वल्लभ का शुद्धद्वैत वेदांतदर्शन रुद्रसंप्रदाय | 73 |
6 | श्री अरविंद का दर्शन | 105 |
7 | सहायक ग्रंथ सूची | 105 |