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हिन्दी विज्ञान लेखनः भूत, वर्तमान एवं भविष्य
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हिन्दी विज्ञान लेखनः भूत, वर्तमान एवं भविष्य

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Author(s): ( डॉ. षिवगोपाल मिश्र )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

तमसो मा ज्योतिर्गमय यह तम या अंधकार अज्ञान है जिससे निकल .... Read More

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    हिन्दी विज्ञान लेखनः भूत, वर्तमान एवं भविष्य

    तमसो मा ज्योतिर्गमय यह तम या अंधकार अज्ञान है जिससे निकल कर ज्योति अर्थात् प्रकाश में जाने की आकांक्षा है। स्पष्ट है कि यह अज्ञान से निकलकर ज्ञान की ओर यात्रा करने का आह्वान है। यह ज्ञान जब विशिष्ट प्रकार का ज्ञान हो तो उसे विज्ञान कहते हैं। प्राचीन साहित्य में ज्ञान-विज्ञान साथ साथ प्रयुक्त मिलते हैं। वर्तमान काल में विज्ञान अंग्रेजी शब्दैबपमदबम का पर्याय बन चुका है। विज्ञान वह ज्ञान है जिसमें भौतिक जगत के बारे में सूक्ष्मातिसूक्ष्म जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। विज्ञान ज्ञान की विधा है। जिस तरह साहित्य मनोभावों का कोश है, उसी तरह विज्ञान भौतिक जगत की रचना की निर्देशिका है। साहित्य के साथ विज्ञान का संयोग मन तथा तन का संयोग है, अन्तर्जगत और बाह्य जगत का मिलन है। पाश्चात्य जगत ने विज्ञान में जैसी उन्नति की है,उससे अब सारा विश्व चमत्कृत है। विश्व का हर देश, हर व्यक्ति, हर पुरुष, हर नारी उससे अवगत होकर उससे लाभान्वित होना चाहता है। विज्ञान मनुष्य को उन्नति की दिशा दिखलाने वाला ज्ञान बन चुका है। 1 हिन्दी विज्ञान लेखनः भूत, वर्तमान एवं भविष्य 2 अब विज्ञान अनेक शाखाओं-प्रशाखाओं में बँटकर अपनी पूर्णता प्राप्त करने के लिए अहर्निश प्रयासरत हे। विज्ञान के ज्ञाता यानी विज्ञानी वह सब कुछ करने में लगे हैं, जिससे मानव-कल्याण हो। विज्ञान का मार्ग कल्याण का, सुख शान्ति का मार्ग है,बशर्ते कि मनुष्य विवेक का सहारा ले। ऐसे ज्ञान को प्राप्त करके उस ज्ञान को जन जन तक पहुँचाना, जनकल्याण की दिशा में सही मार्ग होगा। ज्ञान पहुँचाने का यह कार्य लेखन द्वारा होता आया है। ज्ञान को किसी न किसी रूप में मन-मस्तिष्क में संचित करके उसे व्यक्त करना अनिवार्य है। इसीलिए विज्ञानवेत्ताओं या विज्ञानियों ने विज्ञान लेखन को वरीयता दी है। जिस ज्ञान को वे प्रयोगों द्वारा प्राप्त करते रहे हैं, उसे वे अपनी लेखनी से प्रकट भी करते आये हैं और इस ज्ञान को विभिन्न स्तर के लोगों तक पहुंचाने का कार्य विज्ञान लेखक करते रहे हैं। विज्ञान लेखक को विज्ञान का ज्ञाता होना होता है अन्यथा वह अपना कार्य कुशलतापूर्वक नहीं कर सकता। इस प्रकार विज्ञान लेखन स्वयं किसी वैज्ञानिक द्वारा या फिर उसके ज्ञान से लाभान्वित व्यक्ति द्वारा किया जाता है। ऐसा लेखन पुराकाल से होता आया है और आगे भी होता रहेगा-भले ही भाषा एवं विचारों को व्यक्त करने के साधन बदल जायँ। विज्ञान लेखन का उद्देश्य प्रयोग द्वारा अर्जित एवं संचित ज्ञान को, विशेष ज्ञान को, अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना है जिससे वे जागरूक हो सकें और इस ज्ञान से लाभान्वित हो सकें। यह संसार अति विस्तीर्ण है। इसके विभिन्न भूभागों

    ( डॉ. षिवगोपाल मिश्र )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: 978-93-94553-31-6
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 विज्ञान लेखन : क्या, क्यों और कैसे? 12
    2 काल विभाजन के प्रयास 5
    3 हिन्दी विज्ञान लेखन के प्रकार 27
    4 हिन्दी विज्ञान लख्ेन का भतू काल 19
    5 हिन्दी विज्ञान लेखन का वर्तमान काल 13
    6 विज्ञान लेखन की विभिन्न विधाएँ 48
    7 हिन्दी विज्ञान लेखक/लेखिकाएँ 38
    8 हिन्दी विज्ञान लेखन का भविष्य 38
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