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हम क्या समझते हैं,.... क्वार्क, ब्लैक-होल, बिग-बैंग, एंटी मैटर, जजीन्स,.....द्ध
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हम क्या समझते हैं,.... क्वार्क, ब्लैक-होल, बिग-बैंग, एंटी मैटर, जजीन्स,.....द्ध

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Author(s): ( प्रदीप श्रीवास्तव )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

हम क्या समझते हैं है और विभिन्न तत्वों के परमाणु मूलतः भि .... Read More

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    हम क्या समझते हैं,.... क्वार्क, ब्लैक-होल, बिग-बैंग, एंटी मैटर, जजीन्स,.....द्ध

    हम क्या समझते हैं है और विभिन्न तत्वों के परमाणु मूलतः भिन्न होते हैं। धीरे-धीरे, परमाणु और परमाणुओं से मिलकर बने अणुओं की सैद्धान्तिक परिकल्पना मज़बूत होती गई। प्रयोगात्मक दृष्टि से, उन्नीसवीं सदी में सभी रसायनिक क्रयाओं की तर्क संगत व्याख्या, परमाणु एवं अणुओं के इस सैद्धान्तिक (थ्योरी के) आधार पर संभव हो गई थी। रसायन विज्ञान ने ‘परमाणु’ की संकल्पना की नींव को पक्का कर दिया था। यद्यपि, भौतिक विज्ञान अभी भी इस पहेली से जूझ रहा था कि परमाणुओं की वास्तविकता क्या है? परमाणु या अणु का कोई सीधा अवलोकन पिछली सदी के प्रारंभ तक संभव नहीं हुआ था। बीसवीं सदी में इस विषय में अप्रत्याशित रूप से प्रगति हुई। जहां एक ओर ऐसे प्रयोग हुये जिनसे परमाणु/अणु का अस्तित्व स्थापित हुआ, वहीं दूसरी ओर यह भी पता चला कि परमाणु स्वयं में कोई अविभाजित कण नहीं है। किसी भी तत्व के परमाणु स्वयं में कुछ अन्य सूक्ष्म कणों से मिलकर बने हैं। इतिहास के इन पन्नों के विस्तार में न जाकर हम केवल अन्तिम रिज़ल्ट (निष्कर्ष) की चर्चा करेंगे। प्रयोगों और सैद्धान्तिक विश्लेषण के आधार पर यह पता चला कि परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक ;छनबसमनेद्ध होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं। नाभिक में प्रोटान और न्यूट्रान नाम के दो प्रकार के कण होते हैं। प्रोटान और न्यूट्रान का द्रव्यमान लगभग बराबर होता है, परन्तु प्रोटान में धनात्मक विद्युत आवेश ;च्वेपजपअम म्समबजतपब ब्ींतहमद्ध होता है जबकि न्यूट्रान का कुल विद्युत आवेश शून्य (या यह आवेशरहित) होता है। इलेक्ट्रान, प्रोटान (या न्यूट्रान) से लगभग दो हज़ार गुना हलका होता है और इस पर ऋणात्मक ;छमहंजपअमद्ध विद्युत आवेश होता है। प्रोटान और इलेक्ट्रान के आवेश का मान बराबर होता है। किसी भी तत्व के परमाणु के नाभिक में प्रोटानों की एक निश्चित संख्या होती है। उदाहरण के लिये, हाइड्रोजन के परमाणु में एक प्रोटान, कार्बन में छः प्रोटान, आक्सीजन में आठ, आदि। प्रोटानों की संख्या के आधार पर ही विभिन्न तत्वों के परमाणु एक दूसरे से भिन्न होते हैं। सामान्य स्थिति में परमाणु आवेशरहित होते हैं और इसका कारण है कि उनके नाभिक में जितने (धनात्मक) प्रोटान होते हैं, उसके चारों ओर उतने ही (ऋणात्मक) इलेक्ट्रान। 1930 के दशक तक पदार्थ के मूलभूत अवयवों की

    ( प्रदीप श्रीवास्तव )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: 978-93-94553-85-9
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 क्वार्क 14
    2 Black -होल 13
    3 बिग-बैंग 13
    4 एन्टी मैटर, डार्क मैटर 12
    5 जीन्स 12
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