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भारत में विज्ञान एवं विज्ञान संचार की परंपरा
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भारत में विज्ञान एवं विज्ञान संचार की परंपरा

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Author(s): ( विष्वमोहन तिवारी )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

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  • Books Details

    भारत में विज्ञान एवं विज्ञान संचार की परंपरा

    लोकप्रिय विज्ञान सीरीज में आधुनिक एवं प्राचीन स्रोतों के आधार पर नई सामग्री तैयार करने का चुनौतीपूर्ण परंतु आनंददायक कार्य संपन्न हुआ। हिंदी में विज्ञान और नवीन तकनीक पर आधारित रोचक पाठ्य सामग्री तैयार करना आईसेक्ट पब्लिकेशन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा है जिसे हमने अपने दीर्घ अनुभव के आधार पर संपादित किया है। पाठकां के लिए विज्ञान सदैव ही कौतुहल और रुचि का विषय रहा है। हिन्दी में विज्ञान लेखन की संभावनाएँ, सीमाएँ, वैज्ञानिक तथ्यां की सत्यता का निरूपण आदि विज्ञान लेखन के सदं र्भ में महत्वपूर्ण घटक रहे हैं। विज्ञान की सुदीघ र् परपं रा और विज्ञान तथा तकनीक में हो रहे विकास का सज्ञांन में लेकर आज हिन्दी में एक परू पीढी़ विज्ञान लेखन कर रही ह।ै इस लोकप्रिय विज्ञान शृंखला के विषयों के चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि आधुनिक और पा्र चीन दोनां ही तरह की विषय वस्तुआें का उपयोग किया जाए और साथ ही कुछ ऐसे विषयों को भी लिया जाए जिससे समाज के सामने आ रही समस्याएँ परिलक्षित हों और उनके बारे में हमारी सामग्री पाठक को जागरूक करने का काय र् कर सके। इस शृंखला में एक आरे ’ब्रह्मांड की उत्पत्ति’, ’भारत में विज्ञान एवं विज्ञान संचार की परंपरा’, ’हिंदी विज्ञान लेखन : भूत, वर्तमान एवं भविष्य’, ’भारतीय वैज्ञानिकों के अनछुए पहलू’, ’हम क्या समझते हैं’, ’मध्यप्रदेश की विज्ञान संचार यात्रा’ जैसे विषय लिए गए हैं तो पर्यावरण की महत्ता की दृष्टि से ’जलवायु परिवर्तन’, ’महासागर बोलते हैं’, ’महासागर : जीवन के आधार’, ’भोज वेटलैडं : भापेल ताल’, ’पर्यावरण और मानव जीवन’ जैसे विषयां पर भी पुस्तकें शामिल की गई हैं। जन सामान्य की रुचि के

    ( विष्वमोहन तिवारी )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: 978-93-94553-06-4
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 वैज्ञानिक दृष्टिकोण 10
    2 लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यां : धर्मशास्त्रों का पुनर्वेक्षण 6
    3 वेदां मे पारिस्थितिकी 10
    4 2600 वर्ष पूर्व वैचारिक विस्फोट : पुष्पक विमान से माइक्रोलाइट तक 23
    5 भारत के गणित तथा विज्ञान के विषय में पश्चिम के कुछ विद्वानों की सम्मति 5
    6 पायथागोरस प्रमेय की रचना बौधायन ने की थी 4
    7 शून्य की अनंत महत्ता 9
    8 सूर्य सिद्धान्त का अनाम खगोलज्ञ एवं गणितज्ञ 4
    9 बाध्ैायन से आयर्भ्ाट तक 4
    10 वन भी पावन हुआ करते थे 5
    11 वे पाँच तत्व और ये बान्नवे 6
    12 हिन्दी में विज्ञान लोकप्रिय करने के लिये नवीन माध्यम प्रयास 5
    13 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के परिप्रेक्ष्य में राष्टभ््राषाआें की सभ्ांवनाएं 10
    14 विश्व की प्रगति में प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का योगदान 10
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