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प्राचीन भारत में वैज्ञानिक चिंतन
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प्राचीन भारत में वैज्ञानिक चिंतन

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Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

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    प्राचीन भारत में वैज्ञानिक चिंतन

    के वैज्ञानिक और उच्च तकनीकी के युग में, पग-पग पर हमें वैज्ञानिक उपलब्धियों, उपकरणों से वास्ता पड़ता है। चाहे हम घर में हों, ऑफिस में हों, या यात्रा में। शयन कक्ष में हों, या भोजन की टेबिल पर। दुनियाँ में होने वाली घटनाओं की जानकारी ले रहे हों, या किसी गंभीर विषय के अध्ययन, चिंतन में व्यस्त हों। अपना मनोरंजन कर रहे हों या किसी खेल में डूबे हों। हर समय, हर जगह विज्ञान और तकनीकी हमारी सहायता के लिये जरूरी संसाधन, उपकरण लिये सेवा में तत्पर मिलती है। सच तो यह है, आज हमारा संपूर्ण जीवन, जीवन की हर गतिविधि विज्ञान और उससे अर्जित तकनीक पर निर्भर हो गयी है। आज कुकिंग गैस, मोबाइल या टेलीफोन, बिजली का पंखा या एयरकंडीशनर, स्कूटर या कार और कम्प्यूटर जैसे उपकरण भी, जो कभी विलासिता की निशानी माने जाते थे, सामान्य जरूरत की वस्तु बन गये हैं। ऐसे में कोई भी समझदार व्यक्ति विज्ञान से अनभिज्ञ रहने की गलती कैसे कर सकता है? वस्तुस्थिति यह है कि जब भी कोई व्यक्ति अपनी बात की पुष्टि, सरलतम तर्क से करना चाहता है तो उसे विज्ञान से जोड़ देता है। कहता है-‘यह वैज्ञानिक तथ्य है‘, या ‘विज्ञान ऐसा कहता है‘। एक समय था, जब सामान्य व्यक्ति को विज्ञान और वैज्ञानिक

    ( डॉ. पुरूषोत्तम भट्ट चक्रवर्ती )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: 978-81-908810-2-9
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 विज्ञान और वैज्ञानिक चिंतन 14
    2 ब्रह्माडं आरै ज्योतिष 11
    3 ब्रह्मांड और जीवन 47
    4 जीव विज्ञान के तत्व 47
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