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Jalvayu Parivatran Ke Vivid Ayam

Jalvayu Parivatran Ke Vivid Ayam

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Author(s): ( Dr. Sonalee Singh Nargunde )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

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  • Books Details

    Jalvayu Parivatran Ke Vivid Ayam

    किसी ने ठीक ही कहा है प्रकृति ही जीवन है। प्राकृतिक संसाध्न सृष्टि वेफ विभिन्न घटकों वेफ प्राकृतिक समस्थिति संतुलन वेफ लिए अत्यंत आवश्यक है। इसवेफ कारण पारिस्थितिकी संतुलन व पर्यावरण की शु(ता बनी रहती है, और जीवन का चक्र अबाध्ति चलता रहता है। प्राकृतिक संसाध्नों को 3 प्रमुऽ वर्गों में समझा जा सकता हैः- 1. जैविक संसाध्न- समस्त जीव सृष्टि ;वनस्पति ,पशु -पक्षी, जानवर, जंगल, कृषि, जैव विविध्ताद्ध तथा जीवों वेफ बीच का पारस्परिक संबंध् तथा उपकरण प्राप्त होने वाले लाभ। 2. अजैव संसाध्न- ;मृदा ऽनिज व उनसे मिलने वाले उपादान द्ध 3. मौलिक व जलवायु संसाध्न- ;पारम्परिक व नवकरणीय ऊर्जा, भौतिक गतिज और गुरुत्वाकर्षण बल और उससे प्रभावित होने वाले जलवायु घटकद्ध और प्रक्रियाएँ।

    ( Dr. Sonalee Singh Nargunde )

    Category: Higher Education,General,Story Book
    ISBN: 978-81-953659-7-5
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 बिगड़ता स्वास्थ्य और इसवेफ खतरे - डॉ. जयश्री सिक्का 7
    2 स्वयं सजे वसुंध्रा संवार दें - वुफलदीप नागेश्वर पंवार 4
    3 अपरिवर्तनीय परिवर्तन जलवायु परिवर्तन - भूपेन्द्र वुफमार सुल्लेरे 13
    4 नर्मदा नदी... घुल रहा ध्ीमा जहर - डॉ. मनीष काले 13
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