0 Ratings
0 Reviews
3933 Views
भौगोलिक एवं राजनीतिक दृष्टि से विचार करें तो राष्ट्र किस .... Read More
Price: 166195
You Save 29 15% off
Price: 176195
You Save 20 10% off
*Buy both at: 312 390
You Save 78
20% off
भौगोलिक एवं राजनीतिक दृष्टि से विचार करें तो राष्ट्र किसी देश के निवासियों की सामूहिक चेतना का नाम है। किसी भी देश की इस सामूहिक चेतना के विकास में उस देश के भूगोल से अधिक इतिहास शामिल होता है। सुदीर्घ इतिहास की परंपराओं में राष्ट्र की एक प्रवाह मान संस्कृति जन्म लेती है। कवि या साहित्यकार इस सांस्कृतिक जीवन का अग्रदूत होता है जिसकी सीमा में भी पहली शर्त है व्यक्ति की स्वतंत्रता। यहां स्वतंत्रता का तात्पर्य दायित्व हीनता नहीं वरन मर्यादा का निर्वाह है। कवि व्यक्ति स्वातंत्र्य के द्वारा अपने सामाजिक दायित्व की रक्षा करता है। उदाहरण के लिए भक्ति युगीन काव्य धारा में एक से एक स्वर्णिम रचनाएं प्राप्त होती हैं। किंतु जब कविता राज्याश्रयों में पलने लगी, तो वहां हमें उत्कृष्ट रचनाएं उस रूप में प्राप्त नहीं हो सकी, जिस रूप में भक्ति कालीन काव्य धारा में देखने को मिलती है। उदाहरण से स्पष्ट है कि जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता साहित्यकार को नहीं मिलती है, वहां उसकी वृत्तियां आत्मनिष्ठ हो जाती हैं; उसका साहित्य अंतर्मुखी हो जाता है। एक सच्चा कवि या साहित्यकार वही है जो स्वतंत्र होकर भी उत्तरदायित्व विहीन नहीं है। वह समाज की प्रत्येक गतिविधि से प्रेरणा ग्रहण करता है तथा विषम परिस्थितियों में जन भावना को तीव्रता तथा उत्साह प्रदान करता है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | इकाई 1. राष्ट्र/राष्ट्रीयता की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप | 8 |
2 | इकाई 2. भक्ति एवं रीतिकाल का राष्ट्रीय काल | 8 |
3 | इकाई 3. भारतेंदु एवं द्विवेदी युगीन राष्ट्रीय काव्य | 16 |
4 | इकाई 4. छायावाद युगीन राष्ट्रीय काव्यधारा | 24 |
5 | इकाई 5. छायावादोत्तर राष्ट्रीय काव्य | 20 |
6 | इकाई 6. समकालीन राष्ट्रीय काव्य : प्रथम चरण | 18 |
7 | इकाई 7. समकालीन राष्ट्रीय काव्य : द्वितीय चरण | 20 |
8 | इकाई 8. हिंदी फिल्मी गीतों में राष्ट्रीय काव्य | 20 |