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यह पुस्तक स्नातक पंचम सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तक के रूप में तैयार की गई है। पुस्तक कुल ८ इकाइयों में विभक्त है। जिसमें मूल रूप से भारतीय काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र, पाश्चात्य काव्यशास्त्र, हिंदी आलोचना के प्रमुख विचारक और उनके आलोचना सिद्धांत पर लिखे गए निबंधों को रखा गया है। भारतीय काव्यशास्त्र के सिद्धांतों और नाट्य शास्त्र के प्रमुख अवयवों पर चर्चा की गई है। पाश्चात्य काव्यशास्त्र में प्लेटो, कॉलरिज, वर्ड्सवर्थ रिचर्डस, एवं टी एस इलियट के काव्य सिद्धांतों के साथ ही नई समीक्षा की विचारधाराओं नवशास्त्रवाद, यथार्थवाद, अभिजात्यवाद, नव्य-अभिजातवाद, कलावाद, बिंबवाद, प्रतीकवाद, संरचना तथा उत्तर संरचनावाद और देरिदा के विखंडनवाद का भी समावेश है। आलोचकों में रामचंद्र शुक्ल, प्रेमचंद, प्रसाद, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, नामवर सिंह तथा मुक्तिबोध की आलोचना दृष्टि को व्यक्त करने वाले उनके निबंधों के माध्यम से उनके समीक्षा दृष्टि को समझाने का प्रयास किया गया है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | इकाई 1. भारतीय काव्यशास्त्र | 22 |
2 | इकाई 2. भारतीय काव्य सिद्धान्त | 28 |
3 | इकाई 3. साहित्यशास्त्रीय अवधारणाएँ | 12 |
4 | इकाई 4. नाट्यशास्त्र | 8 |
5 | इकाई 5. पाश्चात्य काव्यशास्त्र | 26 |
6 | इकाई 6. हिन्दी आलोचना का इतिहास तथा सैद्धान्तिकी | 12 |
7 | इकाई 7. समीक्षा की विचारधाराएँ | 26 |
8 | इकाई 8. आलोचक एवं आलोचना दृष्टि | 26 |