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भारतेन्दु एवं द्विवेदी युगीन काव्य
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भारतेन्दु एवं द्विवेदी युगीन काव्य

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Author(s): ( डॉ. शशि कला जायसवाल, .... )

Publisher: ( Pragati Prakashan )

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  • Books Details

    भारतेन्दु एवं द्विवेदी युगीन काव्य

    साहित्य हमें जीवन के विभिन्न रूपों से परिचित कराता है तथा समाज और व्यक्ति के परस्पर अंतर्संबंधों को मूर्तता प्रदान करता है। इतना ही नहीं हमें अपनी संस्कृति और नैतिकता से सरोकार करना भी सिखाता है। साहित्य का मनुष्य और समाज के जीवन में क्या महत्व है इसे हम कथा सम्राट प्रेमचंद के इस कथन के माध्यम से समझ सकते हैं -'हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौंदर्य का सार हो, सृजन की आत्मा हो, जीवन की सच्चाइयों का भाव हो,जो हममें गति,संघर्ष और बेचैनी पैदा करे; सुलाए नहीं क्योंकि अब और ज्यादा सोना मृत्यु का लक्षण है'।

    ( डॉ. शशि कला जायसवाल, डॉ. विभु प्रकाश सिंह )

    Category: Higher Education
    ISBN: 978-93-5531-979-1
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 इकाई प्रथम : आधुनिकता : अर्थ एवं अवधारणा 10
    2 इकाई द्वितीय : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 12
    3 इकाई तृतीय : द्विवेदी युगीन काव्य 21
    4 इकाई चतुर्थ : अयोध्या सिंह ‘हरिऔध’ 23
    5 इकाई पंचम : रामनरेश त्रिपाठी 23
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