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चित्र रूपाकृतियों का संयोजन है। कलाकार द्वारा चित्रभूमि पर अंकन प्रक्रिया प्रारम्भ करते ही रूप का सृजन प्रारम्भ हो जाता है। चित्र रूपाकृतियों का संपुजन होता है। अत: सभी तत्व रूप के अवयव होते हैं। अत: चित्र संयोजन से पूर्व कला के मूल तत्वों तथा सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। कलाकृति एक ऐसा बिम्ब होती है, जो सीधे हमारी भावनाओं को प्रभावित करती है। चित्रकला के सृजन से पूर्व विद्यार्थी को चित्रकला के मूल सिद्धान्तों, तत्वों तथा कला सामग्री का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। अत: पुस्तक लेखन का उद्देश्य यही है कि कला के विद्यार्थी कला तत्वों तथा सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर चित्रण में उनका उपयोग कर सुन्दर व व्यवस्थित चित्रों का सृजन कर सकें।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | प्रथम खण्ड, अध्याय 1. कला : परिभाषा, कला का विभाजन, कला का वर्गीकरण | 6 |
2 | अध्याय 2. चित्रकला के तत्त्व | 39 |
3 | अध्याय 3. संयोजन के सिद्धान्त | 29 |
4 | अध्याय 4. माध्यम एवं प्रविधियाँ | 28 |
5 | अध्याय 5. क्षयवृद्धि | 8 |
6 | अध्याय 6. भारतीय लोक कला | 48 |
7 | अध्याय 7. भारतीय कला के मूल सिद्धान्त ‘षडंग’ | 48 |