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इस पुस्तक को लिखने का विचार काफी समय से था और पिछले कई वर्षों से भारत और विदेश में रहने वाले मेरे मित्र तथा शुभचिन्तक मुझ से मध्यकालीन भारत पर एक ऐसी पुस्तक लिखने का आग्रह कर रहे थे जो इस विषय पर नवीनतम अवधारणाओं और शोधों को व्यवस्थित और एकीकृत रूप में प्रस्तुत करे ताकि सामान्य पाठक और विद्यार्थी दोनों ही उसका लाभ उठा सकें। मैं इस पुस्तक को लिखने का कार्य पूरी गंभीरता से तब तक सम्पन्न नहीं कर पाया जब तक कि मैंने अपनी तीसरी पुस्तक "मध्यकालीन भारत में इतिहास-लेखन, धर्म और राज्य " (1996) पूरी न कर ली; उससे पहले लिखी मेरी दो पुस्तकें हैं: "मध्यकालीन भारत : समाज, जागीरदारी संकट एवं गांव" तथा "मुगल धार्मिक नीतियां, राजपूत और दक्कन" जो क्रमशः 1982 तथा 1993 में प्रकाशित हुईं।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1- मध्य एशिया की राजनीति और बाबर का भारत की ओर बढ़ना | 13 |
2 | 2- उत्तर भारत में साम्राज्य के लिए संघर्ष : अफगान, राजपूत और मुग़ल | 24 |
3 | 3- उत्तर भारत में साम्राज्य के लिए संघर्ष : हुमायूँ और अफगान | 25 |
4 | 4- उत्तर भारतीय साम्राज्य की स्थापना सूरवंश | 23 |
5 | 5- साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण और विस्तारः अकबर | 42 |
6 | 6- अकबर के अधीन राज्य और सरकार | 38 |
7 | 7- अकबर के धार्मिक विचार, उतमा के साथ संबंध और सामाजिक सुधार | 21 |
8 | 8- दकन और मुगल (1657 तक) | 27 |
9 | 9- मुगलों की विदेश नीति | 20 |
10 | 10- सत्रहवीं सदी के पूर्वार्ध में भारत | 38 |
11 | 11- औरंगजेब धार्मिक नीतियां, उत्तर भारत और राजपूत | 50 |
12 | 12- मुगल साम्राज्य का चरमोत्कर्ष और संकट | 46 |
13 | 13- समाज संरचना और विकास | 35 |
14 | 14- आर्थिक जीवन रंग-रूप और संभावनाएं | 37 |
15 | 15- धर्म, ललित कलाएं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी | 28 |
16 | 16- अठारहवीं सदी के पूर्वार्ध में उत्तर भारत | 44 |
17 | 17- प्रभुत्व स्थापना के लिए मराठों का संघर्ष | 44 |