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बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से वर्तमान सदी के काल खंड में, एक विषय के रूप में लोक प्रशासन को जो लोकप्रियता मिली है वह शायद ही किसी अन्य विषय को प्राप्त हुई है। निष्कर्ष के रूप में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वर्तमान लोक प्रशासन को समर्पित है। आखिर हो भी क्यों न? आर्थिक उदारीकरण के संग-संग प्रशासन की सभी पूर्व मान्यताएं और परिभाषाएं एक नए कार्यात्मक अर्थ की तलाश में जुटी हैं। यह एक जीवन्त विषय ही नहीं, अपितु एक व्यावहारिक पद्धति भी है। कोई भी व्यवस्था सुशासन के द्वारा ही अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल करती है और इस हेतु वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सुविधाओं को अपना सहयोगी बनाती है आज ई-प्रशासन, कम्प्यूटर आधारित आर्थिक प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी से संचालित व्यवस्था इसी के तो उदाहरण हैं।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | 1. भारतीय प्रसासन का विकास | 19 |
2 | 2. संवैधानिक स्वरूप | 49 |
3 | 3. लोक उपक्रम | 20 |
4 | 4. संघ सरकार तथा प्रशासन | 43 |
5 | 5. भारतीय योजना | 25 |
6 | 6. राज्य सरकार तथा प्रशासन | 19 |
7 | 7. जिला प्रशासन | 8 |
8 | 8. कानून और व्यवस्था | 16 |
9 | 9. भारतीय लोक सेवाएँ | 24 |
10 | 10. भारत में प्रशासनिक सुधार | 16 |
11 | 11. ग्रामीण विकास एवं शहरी स्थानीय प्रशासन | 19 |
12 | 12. विवादास्पद मुद्दे | 19 |